नशा मुक्ति!
नशा मुक्ति!
करोगे नशा यदि तो बे-मौत मारे जाओगे,
कैसे उन बच्चों को बुरी लत से बचाओगे।
धोखा है इसमें बड़ा जाल देखो हैं डाले,
बात गर न समझी श्मशान जल्दी जाओगे।
पीने- पिलाने में आराजी बिक जाती है,
इस चढ़ती जवानी को यूँ ही गंवाओगे।
खाओगे गुटखा-खैनी सांसें उबल जाएँगी,
उखड़ेगा दम जल्दी समाज क्या बचाओगे।
टूटेंगे सब रिश्ते, बच्चे भी बिलखेंगे,
आंगन में इज्जत का शजर क्या लगाओगे।
मत बना सुहागिन को जीते जी उसे विधवा,
लुट गए नशा में जो तो मांग क्या सजाओगे।
नशा एक बीमारी है मयखाने मत जाओ,
छाई नशा जिनपे, देश क्या बचाएँगे।
गांजा, चरस, दारू छोड़ो जानलेवा है,
खांस-खांस करके तू आग क्या बुझाओगे।
चमकेगा देश अपना नशामुक्त होने से,
खुशहाली की दरिया घर - घर बहाओगे।
पीता है जैसे भाैंरा कलियों के होंठों से,
उसकी दुवाओं से तू भी मुस्कुराओगे।
रामकेश यादव (कवि,साहित्यकार),मुंबई
Sushi saxena
04-Jun-2023 02:53 PM
Nice one
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वानी
04-Jun-2023 11:53 AM
Correct
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ऋषभ दिव्येन्द्र
03-Jun-2023 12:28 PM
एकदम कमाल की रचना
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